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व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> गुरुर से मुक्ति

गुरुर से मुक्ति

सरश्री

प्रकाशक : तेजज्ञान ग्लोबल फाउण्डेशन प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :304
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8759
आईएसबीएन :9788184152517

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गुरुर से मुक्ति - मन को अपना गुरु न बनाएं

Guroor Se Mukti

गुरूर का इलाज ‘गुरु’

गुरूर से मुक्ति कैसे मिले? इस रोग की दवा कहाँ मिले? समस्या का समाधान कहाँ ढूढें? समस्या में ही समाधान है,रोग में ही दवा है, गुरूर में ही सुरुर (चैन) है। गुरूर का इलाज है ‘गुरु’। गुरु के आगे समर्पण से जो तेजआनंद, तेजज्ञान, तेजमौन का अनुभव मिलता है, वह गुरूर को चकनाचूर कर देता है।

इंसान का सबसे बड़ा और अति सूक्ष्म रोग है ‘गुरूर’। गुरूर यानी अहंकार, गर्व, घमंड, मैं-मैं का भाव। गुरूर - पद, प्रतिष्ठा, रिद्धि-सिद्धि, मान-सम्मान चाहता है। ये न मिलने पर क्रोध में दूसरों को नीचा दिखाने के लिए अपनी हानि कर बैठता है। गुरूर में चूर इंसान अपने पॉंव पर कुल्हाड़ी मारने से भी नहीं चूकता।


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